Ahinsa Parmo Dharma: “अहिंसा परमो धर्मः” श्लोक का हिंदी अर्थ | अहिंसा परमो धर्म का मतलब क्या होता है?
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हिंदू धर्म जिसे हम सनातन धर्म के नाम से भी जानते हैं यह दुनिया का सबसे पुराना धर्म है, और हमारे हिंदू ग्रंथों में संस्कृत भाषा में अनेक को संस्कृत श्लोक लिखे हुए हैं जो हमारे जीवन को एक नई दिशा प्रदान करते हैं।
आज के इस लेख में हम हिंदू ग्रंथ में लिखो एक श्लोक “अहिंसा परमो धर्म” (Ahinsa Parmo Dharma) का मतलब क्या होता है, इस श्लोक का हिंदी अर्थ क्या है, इस श्लोक का तात्पर्य क्या है, यह श्लोक कहां से लिया गया है तथा किस हिंदू ग्रंथ में यह श्लोक लिखा हुआ है, इसकी संपूर्ण जानकारी आपको आज के इस लेख में मिलने वाली है।
दोस्तों यदि आप अहिंसा परमो धर्म श्लोक का हिंदी अर्थ तथा महत्व समझाना चाहते हैं तो हमारे इस लेख में अंत तक बने रहें।

“अहिंसा परमो धर्मः” का संपूर्ण श्लोक क्या है? (ahinsa parmo dharma full sloka in sanskrit)
“अहिंसा परमो धर्म” का संपूर्ण श्लोक है: “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:”
“अहिंसा परमो धर्मः” का संपूर्ण श्लोक इंग्लिश में
“Ahinsa Parmo Dharma, Dharm Hinsa Tadev Cha” का संपूर्ण श्लोक इंग्लिश में कुछ इस प्रकार होगा: Non-Violence is the ultimate duty, But you have to choose the path of Violence to protect the world from evils.
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अहिंसा परमो धर्म श्लोक का हिंदी अर्थ (Ahinsa Parmo Dharma Dharm Hinsa Tadev Cha Meaning)
अहिंसा परमो धर्म एक संस्कृत श्लोक है, जिसका अर्थ है “अहिंसा सर्वोच्च धर्म है”।
अहिंसा परमो धर्म श्लोक के हिंदी भाषा के आधार पर कुछ और अर्थ भी निकलते हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
- अहिंसा परम तप है।
- अहिंसा परम तपस्या है।
- अहिंसा परम धर्म है।
- अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
- अहिंसा परम सत्य है।
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“अहिंसा परमो धर्मः” का मतलब क्या होता है?
अहिंसा परमो धर्म संस्कृत भाषा का श्लोक हैं, इस श्लोक को महाभारत के ग्रंथों से लिया गया है, तथा इस श्लोक के माध्यम से अहिंसा के सिद्धांत को बताया गया है, और आपकी जानकारी के लिए बता दे,
Ahinsa Parmo Dharma Meaning: “अहिंसा परमो धर्मः” का मतलब होता है कि अहिंसा, यानी किसी भी प्रकार की हिंसा से बचाव और धर्म की रक्षा में की गई हिंसा सबसे उच्च धर्म है”।
यह प्राचीन भारतीय धार्मिक विचारधारा में महत्वपूर्ण सिद्धांत को दर्शाता है, अतः “अहिंसा परमो धर्म” श्लोक को महात्मा गांधीजी ने भी अपने सत्याग्रह आंदोलन में प्रमुख बनाया था।
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“अहिंसा परमो धर्मः” पूरा श्लोक का अर्थ
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:” इस संपूर्ण श्लोक का हिंदी अर्थ है-
“अहिंसा ही परम धर्म है लेकीन धर्म की रक्षा के लिए कि गयी धर्म हिंसा, उससे भी बड़ा धर्म है।”
अतः सभी धर्मों और संस्कृतियों में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, अहिंसा का अर्थ है किसी भी जीवित प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाना, यह एक नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांत है, जो शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
अहिंसा का सिद्धांत कई तरह से हमारे जीवन में लागू किया जा सकता है, हम अहिंसा का पालन अपने शब्दों, कार्यों और विचारों से कर सकते हैं, हम किसी भी जीवित प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचा सकते, चाहे वह कोई इंसान हो, जानवर हो या कीट हो, हम अपने शब्दों से किसी का भी अपमान या गाली नहीं दे सकते, हम अपने कार्यों से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते और हम अपने विचारों से किसी से भी नफरत या घृणा नहीं कर सकते।
अहिंसा का पालन करना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण काम है, अहिंसा से ही शांति और समृद्धि आती है। जब हम अहिंसा का पालन करते हैं, तो हम अपने आसपास के लोगों और दुनिया को बेहतर बनाते हैं,
अहिंसा परमो धर्म श्लोक एक प्रेरणादायक श्लोक है, जो हमें अहिंसा के महत्व को याद दिलाता है, यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि अहिंसा ही एकमात्र मार्ग है, जो हमें शांति और समृद्धि तक ले जा सकता है।
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“अहिंसा परमो धर्मः” श्लोक किस ग्रंथ से लिया गया है? (Ahinsa parmo dharma full line in hindi)
Ahinsa parmo dharma shlok number: “अहिंसा परमो धर्मः” श्लोक महाभारत के आदि पर्व के, राजधर्म पर्व के, अनुषासनिक पर्व के, छद्मवर्ग अनुषासनिक पर्व में, अध्याय 25, श्लोक 63 में लिखा हुवा है, यह श्लोक महाभारत के महान आदर्श और धर्मशास्त्र के रूप में महत्वपूर्ण है, जिसमें अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। महाभारत में लिखा श्लोक कुछ इस प्रकार है।
करुणानिधिः सर्वभूतानां अहिंसापरमो धर्मः।
देवानां च ऋषीणां च पतिः सत्यपराक्रमः॥
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People also ask: आपके पूछे गए प्रश्न
Q: “अहिंसा परमो धर्मः” पूरा श्लोक बताएं?
Ans: “अहिंसा परमो धर्मः” का पूरा श्लोक है: “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:”।
Q: “अहिंसा परमो धर्मः” किसने कहा था?
Ans: “अहिंसा परमो धर्मः” श्लोक महाभारत के आदि पर्व के राजधर्म पर्व के अनुषासनिक पर्व में आता है और इसका वाक्यार्थिक अर्थ है कि अहिंसा ही सबसे उच्च धर्म है। यह श्लोक भीष्म पितामह ने युद्ध भूमि में भगवान कृष्ण से कहा था।
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