महाभारत के रचयिता कौन है, किसने लिखा है महाभारत
महाभारत एक भारतीय ऐतिहासिक ग्रंथ है, जिसमें महाभारत के इतिहास की पूरी जानकारी मौजूद है, और आज महाभारत ग्रंथ के मौजूद होने के कारण ही हम हमारे महाभारत के पूरे इतिहास को जान पाए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय इतिहास में महाभारत के ग्रंथ को हिंदुत्व धर्म में पंचम वेद का स्थान प्राप्त है, साथ ही महाभारत का ग्रंथ विश्व में सबसे बड़े ऐतिहासिक ग्रंथों में से एक है, महाभारत के ग्रंथ के अंदर भारत देश की सभी पौराणिक कथाएं और हिंदू देवी देवताओं की पूरी जानकारी मौजूद है।
दोस्तों आज पूरी दुनिया हिंदू धर्म को सबसे ऊपर मान रही है और उसे अपना भी रही है साथ ही देखा जाए तो कुछ ही दिन पहले हॉटस्टार डिजनी प्लस जो कि अमेरिका की एक बहुत बड़ी फिल्म निर्माता कंपनी है, उसने भी महाभारत के ऊपर एक पूरी सीरीज बनाने का निर्णय लिया है।
जो कि हम सभी भारतीयों के लिए काफी ज्यादा गर्व की बात है, और दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको महाभारत के पूरे इतिहास की जानकारी दी है, और यहां हमने आपको Mahabharat kisne likhi thi, mahabharat ke rachyita kaun hai, महाभारत किस भाषा में लिखा गया है, महाभारत की रचना कब हुई, इत्यादि। महाभारत के इतिहास से संबंधित आपको हर मुमकिन जानकारी दी गई है।
महाभारत के इतिहास की जानकारी
भारतीय ऐतिहासिक ग्रंथ | महाभारत |
महाभारत ग्रंथ का दूसरा नाम | महाकाव्य और जय संहिता |
महाभारत किस देश का ग्रंथ है | भारत |
महाभारत का रचयिता कौन है | महर्षि वेदव्यास |
महाभारत किसने लिखी थी | भगवान श्री गणेश |
महाभारत किस भाषा में लिखी गई है | संस्कृत |
महाभारत के मुख्य पात्र कौन है | भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन, भीम, दुर्योधन, युधिष्ठिर, कर्ण, भीष्म, इत्यादि। |
महाभारत का आधार | कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष |
महाभारत में कुल श्लोक की संख्या | 110000 से लेकर 140000 तक |
महाभारत की रचना कब हुई थी | 1200 ईसा पूर्व से लेकर 3100 ईसा पूर्व के मध्य हुई थी। |
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महाभारत किसने लिखा और कब लिखा | महाभारत का रचयिता कौन है?
महाभारत किसने लिखा और कब लिखा इसके पीछे एक ऐतिहासिक कथा मौजूद है, और हमारे भारतीय इतिहास के अनुसार जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध जैसे आसार बन रहे थे, तब भगवान ब्रह्मदेव ने एक परम ज्ञानी महर्षि वेदव्यास को अपने दर्शन दिए।
ब्रह्मदेव ने महर्षि वेदव्यास को महाभारत की पूरी घटना का लेखा जोखा सुनाया और उन्हें महाभारत काव्य की रचना करने का कार्य सौंपा, ताकि आने वाली पीढ़ी को महाभारत के बारे में पता चल सके, ब्रह्मदेव के दिए कार्य को करने के लिए उन्हें एक लेखक की जरूरत थी, जो कि उनके बोलने की गति के अनुसार पूरा काव्य लिख सके।
क्योंकि महाभारत एक पवित्र रचना है और इस रचना को वह बार-बार दोहराना नहीं चाहते थे, वह एक ही बार में इस पूरे काव्य को पूरा करना चाहते थे, ब्रह्मदेव ने वेद व्यास की इस बात का समर्थन करते हुए उन्हें भगवान श्री गणेश का नाम सुझाया और ब्रह्मदेव ने महर्षि वेदव्यास से कहा कि श्री गणेश जैसा चतुर और बुद्धिमान इस पूरे संसार में कोई नहीं है इसलिए आप उनकी सहायता ले।
महर्षि वेदव्यास- ब्रह्मदेव की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान श्री गणेश जी से मिलने गए और उन्होंने भगवान श्री गणेश को महाभारत की रचना करने के लिए उन्हें इस महाकाव्य को लिखने को कहा, साथ ही भगवान श्री गणेश से वेदव्यास जी ने कहा कि आपको यह महाकाव्य मेरे बोलने की गति की तेजी से ही लिखना है।
क्योंकि यह एक पवित्र रचना है जिसे बार-बार दोहराया नहीं जा सकता है, भगवान श्री गणेश ने उनकी बात मानते हुए उनसे कहा कि आप चिंता ना करें, मैं महाभारत के पूरे ग्रंथ को आपके बोलने की गति से भी तेज लिख सकता हूं।
इस तरह वेदव्यास जी ने भगवान श्री गणेश को महाभारत काव्य को लिखने के लिए अपना मुंशी नियुक्त किया और फिर वह दोनों मिलकर, एक ऐसे शांत स्थान पर चले गए जहां उन्हें कोई भी परेशान ना कर सके, और फिर भगवान श्री गणेश ने महाभारत ग्रंथ को लिखने का कार्य शुरू किया और महर्षि वेदव्यास महाभारत के हर हिस्से को बोलते चले गए।
पर दोस्तों यहां आपकी जानकारी के लिए बता दे, जिस समय भगवान श्री गणेश गणेश इस महाकाव्य को लिख रहे थे उस समय लिखने के लिए फूलों के रस से बनी शाही और मोर पंख का इस्तेमाल किया जाता था यानी कि मोर पंख को शाही में भिगोकर लिखा जाता था।
और जब भगवान श्री गणेश यह काव्य लिख रहे थे उस वक्त उनके लिखने की गति के कारण वह मोर पंख टूट गया था और श्री गणेश महर्षि वेदव्यास को महाभारत की सभी घटनाओं को बताते ही जा रहे थे, और गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास की बात का अनुसरण करते हुए उन्होंने अपना एक दांत थोड़ा और उसको शाही में भिगोकर उससे महाभारत का काव्य लिखने लगे।
इस तरह महाभारत के महाकाव्य की रचना महर्षि वेदव्यास और भगवान श्री गणेश के हाथों हुई है। हमें उम्मीद है आपको यह जानकारी काफी पसंद आई होगी, अगर आप हमारे लेख पढ़ना पसंद करते हैं और आपको हमारे लिखे लेख से अच्छी जानकारी मिल रही है, तो आप हमारी वेबसाइट पर सब्सक्राइब कर सकते हैं ताकि आपको हमारे सभी पोस्ट की अपडेट सबसे पहले मिल सके।
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महाभारत ग्रंथ के अन्य नाम क्या है | महाभारत का दूसरा नाम क्या है?
जैसा की अभी हमने आपको बताया महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास है और महाभारत के लेखक भगवान श्री गणेश हैं, और जिस समय महाभारत लिखी गई थी तब महाभारत के ग्रंथ को “महाकाव्य और जय संहिता” के नाम से जाना जाता था।
यानी कि महाभारत का दूसरा नाम “महाकाव्य और जय संहिता” हैं, जिसे आज महाभारत के नाम से जाना जाता है।
महाभारत में कुल श्लोक की संख्या
महाभारत महाकाव्य विश्व के की सभी पौराणिक कथाओं और पौराणिक ग्रंथों में सबसे बड़े ग्रंथ के अंदर गिना जाता है, और महाभारत का यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है जिसके अंदर कुल 1,10,000 से लेकर 1,40,000 श्लोक मौजूद हैं।
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महाभारत के मुख्य पात्र कौन है और महाभारत में किसके बारे में लिखा है?
महाभारत महाकाव्य के अंदर कौरवों और पांडवों के बीच हुए आपसी संघर्ष को बताया गया है साथ ही यहां हम आपको बता दें महाभारत के ग्रंथ में हमारे सभी हिंदू देवी देवताओं का उल्लेख भी किया गया है, जिससे हमें सभी हिंदू देवी देवताओं का होने का प्रमाण भी प्राप्त होता है।
महाभारत महाकाव्य के मुख्य पात्र भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन, भीम, दुर्योधन, युधिष्ठिर, कर्ण, भीष्म, इत्यादि है, महाभारत की सबसे प्रमुख मुख्य घटना उस वक्त की है जब भगवान श्री कृष्ण युद्ध के समय अर्जुन को ज्ञान का पाठ पढ़ाते हैं।
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FAQ’s: आपके पूछे गए सवालों के जवाब
Q1: महाभारत की रचना किस भाषा में हुई है?
Ans: महाभारत की रचना संस्कृत भाषा के अंदर की गई है।
Q2: महाभारत किस भाषा में लिखी गई है?
Ans: महाभारत के महाकाव्य को संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
Q3: महाभारत का युद्ध कहां हुआ था?
Ans: महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था।
Q4: महाभारत का पुराना नाम क्या है?
Ans: महाभारत का पुराना नाम “महाकाव्य और जय संहिता” है।
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