फूलों की घाटी किसे कहते हैं? और कहां स्थित है?
हमारी धरती पर शायद ही कोई ऐसा मनुष्य होगा जिसे फूलों से लगाऊं ना हो, फूल हर किसी को पसंद होते हैं, साथ ही फूलों की खुशबू इतनी मन मोहक होती है कि हर कोई फूलों को पसंद करता है।
ऐसे में अगर आपको मौका मिल जाए, की आप कहीं ऐसी जगह घूमने जाएं जहां आपको सिर्फ अपने चारों तरफ तरह-तरह के फूलों के बगीचे दिखाई दे और तरह-तरह की मनमोहक खुशबू आपको सूंघने को मिले।

तो मेरे हिसाब से आप में से कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो ऐसी जगह पर घूमना नहीं चाहेगा और आज के इस लेख में हम आपके साथ एक ऐसी ही जगह जिसे “फूलों की घाटी” कहां जाता है, इसके ऊपर विस्तार पूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं, अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको हमारे इस लेख को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।
Phoolon ki ghati kise kahate hain | Fulo ki ghati kahan sthit hai
फूलों की घाटी किसे कहते हैं: यहां आपकी जानकारी के लिए बता दे, कोई ऐसा खेत, जगह या स्थान जिसके चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ बने हो और वह जगह पहाड़ों के बीच में स्थित हो उसे हम घाटी कहते हैं और अगर उसी घाटी में फूलों का बगीचा हो तो उसे हम फूलों की घाटी कहेंगे।
उम्मीद है अब आपको यह पता चल गया होगा की घाटी किसे कहते हैं और फूलों की घाटी किसे कहते हैं, तो आइए अब जानते हैं “valley of flowers in india” मैं कहां स्थित है।
भारत में फूलों की घाटी कहां है: सबसे पहले तो यहां हम आपको बता दें भारत में स्थित फूलों की घाटी को “पुष्पोपत्यका राष्ट्रीय उद्यान” और “फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान” के नाम से जाना जाता है और यह भारत के पश्चिमी हिमालय के सबसे ऊंचे स्थान पर बना हुआ है, जो कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है।
दोस्तों भारत की इस fulo ki ghati राष्ट्रीय उद्यान का जिक्र हमारी पौराणिक कथाओं और रामायण के अंदर भी किया गया है जिसकी आगे हमने आपको पूरी विस्तार पूर्वक जानकारी दी है जिसे भी आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
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फूलों की घाटी का रहस्य क्या है?
कहां जाता है कि रामायण काल के अंदर जब प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी का युद्ध रावण के बेटे मेघनाथ के साथ हुआ था, तो उस वक्त मेघनाथ द्वारा प्रभु श्री राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी को तीर लग जाता है और तब उनकी रक्षा के लिए बजरंगबली संजीवनी बूटी लेने इसी फूलों की घाटी पहुंचते हैं और यहां से संजीवनी बूटी ले जाकर भगवान राम और लक्ष्मण जी के प्राण बचाते हैं।
इसी के साथ यह भी कहा जाता है, कि लाखों वर्ष पूर्व इस फूलों की घाटी जहां पहले एक खाली जंगल हुआ करता था, वहां एक ऋषि तपस्या किया करते थे, वह उस स्थान पर बिल्कुल अकेले थे और उनके चारों तरफ काफी ऊंचे ऊंचे पहाड़ मौजूद थे उनकी दी गई आवाज को भी वहां कोई भी नहीं सुन सकता था।
एक दिन ऋषि काफी ज्यादा परेशान होकर तपस्या करने लगे और भगवान से प्रार्थना करने लगे कि मेरे आस-पास कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है जिससे कि मैं अपना मन लगा सकूं और मन ना लगने के कारण मैं अपनी तपस्या में भी ध्यान नहीं लगा पाता हूं, इसी के साथ उनकी आंखों से आंसू छलक उठते हैं तभी उनके सामने एक सफेद वस्त्र धारण करें, एक छोटी बच्ची उनके सामने प्रकट होती है।
ऋषि उस बच्ची को देखकर काफी ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं और उसे अपनी गोद में उठा लेते हैं, और ऋषि उस छोटी बच्ची से पूछते हैं बेटा तुम कहां से आई हो तुम्हारे मां-बाप कहां है और यहां क्या कर रही हो तब वह छोटी बच्ची ऋषि से कहती है कि बाबा मैं पहाड़ों के पीछे एक गांव में रहती हूं।
और मेरी मां का नाम प्रकृति है और मेरी मां ने ही मुझे आपके पास यहां भेजा है और कहा है कि मैं आपके चारों तरफ खुशियां ही खुशियां बिखेर दूं, और यह सुनकर ऋषि भाऊक हो जाते हैं और उसे गले से लगा लेते हैं और कहते हैं कि आज से मैं तुम्हारा एक पिता की तरह पूरा ख्याल रखूंगा।
इस तरह वह छोटी बच्ची ऋषि के साथ रहने लगती है और वह बर्फ के पहाड़ों में घूमा करते हैं, ऋषि छोटी बच्ची को काफी अच्छी अच्छी कहानियां सुनाया करते थे और एक दिन उसे वह एक ऐसी कहानी सुनाते हैं जिसे सुनकर वह छोटी बच्ची काफी जोर जोर से हंसने लगती है और जैसे ही वह हस्ती है तो उस स्थान पर रंग-बिरंगे फूल खिल उठते हैं।
यह देख ऋषि कहते हैं कि यह स्थान अब से धरती का स्वर्ग कहलाएगा, इस तरह वह दोनों काफी हंसी खुशी रहने लगे पर एक दिन वह छोटी बच्ची एक पत्थर से टकरा कर गिर जाती है और उसे चोट लगती है चोट लगने के बाद वह छोटी बच्ची रोने लगती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं,
छोटी बच्ची के आंखों से जो आंसू बहते हैं और जहां-जहां वह आंसू गिरते हैं उस जगह पर पानी के झरने बन जाते हैं। दोस्तों इस तरह फूलों की घाटी का पश्चिमी हिमालय के ऊपर निर्माण होता है।
हमें उम्मीद है अब आपको काफी अच्छे से समझ आ गया होगा और पता चल गया होगा कि फूलों की घाटी का रहस्य क्या है।
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फूलो की घाटी की खोज कब और किसने की है?
दोस्तों कहा जाता है कि इंग्लैंड देश के एक काफी बड़े पर्वतारोही “फ्रेंक स्मिथ” ने वर्ष 1933 के अंदर फूलों की घाटी की खोज की थी, जिसे देख फ्रैंक स्मिथ काफी ज्यादा उत्साहित हुए थे और बाद में फिर से एक बार फ्रैंक स्मिथ वर्ष 1937 में फूलों की घाटी वापस लौटे थे।
और इसके बाद उन्होंने भारत में स्थित फूलों की घाटी के ऊपर वर्ष 1938 के अंदर “Valley of Flowers” (वैली ऑफ फ्लॉवर्स) नामक एक किताब लिखी थी। इस किताब के अंदर इस फूलों की घाटी का काफी विस्तार पूर्वक उल्लेख किया गया है।
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फूलों की घाटी में कितने प्रजाति के फूल खिलते हैं?
दोस्तों फूलों की घाटी में अनेकों प्रकार की प्रजाति वाले फूल पाए जाते हैं और कुछ फूल ऐसे भी हैं जिनके नाम अभी तक नहीं रखे गए हैं पर दोस्तों यहां आपको घबराने की जरूरत नहीं है यहां हमने आपको फूलों की घाटी में मुख्य रूप से पाए जाने वाले प्रसिद्ध फूलों के नाम की सूची साझा की है, जोकि निम्नलिखित हैं।
संख्या | फूलों की घाटी में खिलने वाले फूलों के नाम |
---|---|
1 | जर्मेनियम |
2 | हिमालयी नीला पोस्त |
3 | कोरिडालिस |
4 | इम्पेटिनस |
5 | मार्श |
6 | पोटेन्टिला |
7 | एनीमोन |
8 | जिउम |
9 | सैक्सिफागा |
10 | लोबिलिया |
11 | कोडोनोपसिस |
12 | रोडोडियोड्रान |
13 | पेडिक्युलरिस |
14 | साइप्रिपेडियम |
15 | इन्डुला |
16 | बछनाग |
17 | तारक |
18 | लिगुलारिया |
19 | स्ट्राबेरी |
20 | प्रिभुला |
21 | डैक्टाइलोरहिज्म |
22 | अनाफलिस |
23 | ट्रौलियस |
24 | एक्युलेगिया |
25 | गेंदा |
26 | लिलियम |
27 | डेलफिनियम |
28 | रानुनकुलस |
29 | सौसुरिया |
30 | कम्पानुला |
31 | थर्मोपसिस |
32 | बिस्टोरटा |
33 | मोरिना |
किस समय फूलों की घाटी जाना चाहिए?
अगर आप घूमने के लिए किसी अच्छी जगह जाना चाहते हैं और अपने घूमने के लिए आपने अगर फूलों की घाटी का चुनाव किया है तो आपके लिए फूलों की घाटी जाने का सही समय बारिश के मौसम का रहेगा और फूलों की घाटी में बारिश का मौसम “जुलाई अगस्त और सितंबर महीने के अंदर रहता है इस समय फूलों की घाटी मैं काफी अच्छे और रंग-बिरंगे फूल खेलते हुए नजर आते हैं।
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FAQs: आपके पूछे गए सवालों के जवाब
Q1: उत्तराखंड में फूलों की घाटी कहां है?
Ans: उत्तराखंड के अंदर फूलों की घाटी “गढ़वाल” क्षेत्र में स्थित है।
Q2: फूलों की घाटी किसे कहा जाता है?
Ans: भारत में उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के अंदर स्थित स्थान को फूलों की घाटी कहा जाता है।
Q3: फूलों की घाटी घूमने का सही समय क्या है?
Ans: फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में घूमने का सही समय जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने का है।
Q4: फूलों की घाटी का उपनाम क्या है?
Ans: फूलों की घाटी का उपनाम “पुष्पोपत्यका राष्ट्रीय उद्यान” हैं।
Q5: फूलों की घाटी से कौन सी नदी बहती है?
Ans: फूलों की घाटी में “पुष्पावती” नामक नदी बहती है।
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