Sanatan Dharm: भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म का महत्व, कितना पुराना है सनातन धर्म?
सनातन धर्म या हिंदू धर्म कितना पुराना है, (sanatan dharma kitna purana hai), भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म का महत्व क्या है, सनातन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई
सनातन धर्म (Sanatan Dharm) को आज वर्तमान समय में हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाता है, और हिन्दू धर्म हमारी भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, सनातन धर्म विशेष धार्मिक आदर्श, संस्कृति, और तत्त्वों के लिए प्रसिद्ध है।
आज पूरे विश्व में सनातन धर्म “हिन्दू धर्म” के नाम से प्रचलित है, तथा हिंदू धर्म के लोगों को हिन्दू या सनातनी कहते हैं, हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सबसे पुराना धर्म है, और जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
दोस्तों यदि आप सनातन धर्म या हिंदू धर्म कितना पुराना है, (sanatan dharma kitna purana hai), भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म का महत्व क्या है, सनातन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई, इत्यादि से संबंधित आपको इस लेख में संपूर्ण जानकारी दी गई है जो की निम्नलिखित है।

सनातन धर्म कितना पुराना है? (Sanatan Dharm Kitna Purana hai)
ऐतिहासिक ग्रंथों और इतिहास की किताबों से मिली जानकारी के अनुसार पूरी दुनिया में सनातन धर्म “90 हजार वर्ष” से भी पुराना है, मान्यता है कि दुनिया में सनातन धर्म सबसे पहले आया था और सनातन धर्म से पहले दुनिया में कोई भी धर्म मौजूद नहीं था।
पौराणिक किताबें तथा ऐतिहासिक ग्रंथों में हिंदू धर्म से पहले किसी भी धर्म के मौजूद होने का प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।
हमारे पौराणिक हिंदू ग्रंथों में लिखे अनुसार सबसे पहले 9057 ईसा पूर्व में “स्वायंभुव मनु” का जन्म हुआ था, 6673 ईसा पूर्व के अंदर “वैवस्वत मनु” का जन्म हुआ था, और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व में हुआ था, अतः भगवान श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व में हुआ था।
और इन सभी सबूतों के आधार पर हिंदू धर्म अर्थात सनातन धर्म को 90,000 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया गया है। हम उम्मीद करते हैं आपको यह उत्तर जानकर खुशी प्राप्त हुई होगी और आपको सनातन धर्म कितना पुराना है इसकी भी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
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हिंदू धर्म कितना पुराना है? (Sanatan Dharm Kitna Purana hai)
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे वर्तमान समय में सनातन धर्म को हिंदू धर्म कहा जाता है अर्थात सनातन धर्म और हिंदू धर्म एक ही है, और हिंदू धर्म के ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार 90 हजार वर्ष पुराना है। हालांकि, ज्ञात रूप से इसे 12000 वर्ष पुराना बताया गया है।
सनातन धर्म का अर्थ क्या है? (Sanatan Dharm ka Arth kya hai)
सनातन का अर्थ | शाश्वत या सदा बने रहना |
सनातन धर्म का अर्थ | जिसका ना तो कोई आदि है और ना ही कोई अंत |
Sanatan Dharma in Hindi: सनातन शब्द का अर्थ होता है “शाश्वत या सदा बने रहना” अर्थात “जिसका ना तो कोई आदि है और ना ही कोई अंत”, सनातन धर्म को कुछ अन्य नाम से भी जाना जाता है जो की निम्नलिखित है:
- सनातन धर्म
- हिंदू धर्म
- वैदिक धर्म
हमारी भारतीय सिंधु सभ्यता में हिंदू धर्म से संबंधित कई चिन्ह बने हुए हैं जो हिंदू धर्म के हजारों वर्ष पुराना होने के सबूत है।
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भगवत गीता के अनुसार सनातन का अर्थ क्या है?
What is sanatan dharma: हिंदू धर्म में भगवत गीता सबसे पवित्र ग्रंथ है, जिसमें हिंदू धर्म की पूरी जानकारी लिखी हुई है, तथा भगवत गीता मैं भूत भविष्य की जानकारी भी छुपी हुई है, और भगवत गीता में लिखे एक श्लोक के माध्यम से हमें सनातन का अर्थ पता चलता है, और उस श्लोक को यहां हमने आपको उसके हिंदी अर्थ के साथ समझाया है।
।। श्लोक ।।
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्य: सर्वगत: स्थाणुरचलोऽयं सनातन: ।।
श्लोक का अर्थ:
इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि:
हे अर्जुन! जिसे छेदा नहीं जा सकता, जलाया नहीं जा सकता, जिसे सुखाया या गिला नहीं किया जा सकता, जो अपना स्थान नहीं बदलता, ऐसे रहस्यमई सात्विक गुण केवल परमात्मा में ही होते हैं। और जो सत्ता इन दैवीय गुणों से परिपूर्ण हो वही सनातन कहलाने के योग्य होता है।
अर्थात इस श्लोक का तात्पर्य है कि जो नया नहीं है, ना ही कभी जन्मा है, ना हीं जिसकी शुरुआत हुई है, जो कभी पुराना नहीं होगा, जिसका कोई आदि और अंत नहीं है, उसे ईश्वर और ईश्वर को ही सनातन कहते हैं।
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सनातन धर्म का प्रतीक चिन्ह क्या है?
ओम (ॐ) का चिन्ह सनातन धर्म का प्रतीक चिन्ह है।

सनातन धर्म को हिंदू धर्म नाम कैसे प्राप्त हुआ?
सनातन धर्म को हिंदू धर्म नाम किसी भारतीय द्वारा नहीं दिया गया है, सनातन को हिंदू नाम विदेशी पर्यटकों द्वारा प्राप्त हुआ है, यह उस समय की बात है जब तुर्की और ईरान के लोग पहली बार भारत में आए थे,
इन विदेशी लोगों ने भारत आने के लिए सिंधु घाटी का रास्ता चुना था और उस समय इन विदेशियों की भाषा में सिंधु शब्द के “स” शब्द का कोई मतलब नहीं था, या आप यह भी समझ सकते हैं कि इन विदेशियों की भाषा में “स” शब्द नहीं आता था,
इसलिए इन विदेशियों ने अपनी सुविधा के लिए “स” शब्द को “ह” में परिवर्तित कर दिया,और इस तरह सिंधु शब्द से हिंदू नाम की स्थापना हुई थी, और उसके बाद से सनातन धर्म को हिंदू धर्म के नाम से जाना जाने लगा।
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सनातन धर्म के प्रमुख देवी और देवता कोन है?
वैसे तो सनातन धर्म में सभी देवी देवता पूजनीय और प्रमुख है पर यहां आपको कुछ अत्यधिक प्रमुख या जिन्हें हिंदू धर्म में सबसे पहले पूजा जाता है उन सभी देवी देवताओं के बारे में बता रहे हैं।
- सनातन धर्म में सबसे प्रमुख देवता त्रिदेव है, जिसमें भगवान ब्रह्मा विविधता का प्रतीक है, भगवान विष्णु संरक्षण का प्रतीक है, और भगवान शिव विनाशक का प्रतीक है।
- सनातन धर्म में सबसे प्रमुख देवियां, माता शक्ति, माता काली, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, और मां दुर्गा के नौ रूप है।
- इनके अलावा भगवान श्री गणेश को सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम पूजा जाता है।
- प्रमुख देवी देवताओं में हनुमान जी, सूर्य देव, शनि देव, अग्निदेव, पवन देव, कार्तिकेय, इत्यादि देवताओं के नाम भी शामिल है।
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सनातन धर्म के प्रमुख नियम क्या है?
सनातन धर्म के नियम हमें आदर्श और धार्मिक जीवन की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, यहां हमने आपके साथ सनातन धर्म के सभी प्रमुख नियम कौन-कौन से हैं इसकी जानकारी दी है जो की निम्नलिखित है।
धर्म (धर्मिक आचरण):
सनातन धर्म में धर्मिक आचरण का महत्वपूर्ण स्थान है, धार्मिक कर्मों का पालन करके आध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रगति की जा सकती है।
कर्म (कर्मफल का त्याग):
सनातन धर्म में कर्म का महत्व बताया गया है, कर्म करते समय फल की चिंता न करके केवल कर्म में निष्ठा रखने की सलाह दी जाती है।
ध्यान और योग:
ध्यान और योग सनातन धर्म में आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं, मानसिक शांति और आत्मा के साथ संयोजन के लिए योग अभ्यास किया जाता है।
अहिंसा:
अहिंसा का पालन सनातन धर्म में महत्वपूर्ण है, सभी प्राणियों के प्रति दया और सहानुभूति की भावना रखने का सिखाया जाता है।
सत्य:
सत्य का पालन करने की महत्वपूर्णता को सनातन धर्म में बताया गया है, सत्य बोलने में हमें सदैव पक्षपात और भ्रष्टाचार से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
विश्वास:
ईश्वर और आत्मा में श्रद्धा रखने का सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है, आत्मा के माध्यम से ईश्वर से जुड़कर आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है।
सेवा:
सेवा भावना सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, अन्यों की मदद करने के माध्यम से हम सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर उन्नति कर सकते हैं।
ये नियम सनातन धर्म के मूल तत्त्व हैं और इनका पालन करके हम आध्यात्मिक विकास और आत्मा की शुद्धि की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
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हिंदू धर्म में कितने पुराण हैं?
हिंदू धर्म में पुराणों की संख्या 18 (अट्ठारह) है, यहां हमने आपको सभी 18 पुराणों के नाम बताए हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
- ब्रह्म पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- मार्कंडेय पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- स्कंद पुराण
- भागवत पुराण
- पद्म पुराण
- लिंग पुराण
- अग्नि पुराण
- मत्स्य पुराण
- वामन पुराण
- गरुण पुराण
- विष्णु पुराण
- नारद पुराण
- भविष्य पुराण
- वाराह पुराण
- कुर्मा पुराण
- ब्रह्मांड पुराण
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People also ask: आपके पूछे गए सवाल
Q : सनातन धर्म कितने वर्ष पुराना है?
Ans: हिंदू धर्म के ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार 90 हजार वर्ष पुराना है। हालांकि, ज्ञात रूप से इसे 12000 वर्ष पुराना बताया गया है।
Q : सनातन धर्म की शुरुआत कब हुई थी?
Ans: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सनातन धर्म की स्थापना 90000 वर्ष पूर्व हुई थी, इसके प्रमाण हिंदू ग्रंथो में लिखे भगवान मनु, भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण, के जन्म से पता चलता है।
Q : विश्व का सबसे पुराना धर्म कौन सा है?
Ans: विश्व का सबसे पुराना धर्म “सनातन धर्म” है जिसे वर्तमान समय में हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हिंदू धर्म 90000 वर्ष पुराना है।
Q : कौन सा धर्म सबसे पुराना है हिंदू या इस्लाम
Ans: दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है जो आज हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है।
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